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हिन्‍दू धर्म की वर्तमान चुनौती

सामान्‍य रूप से यह माना जाता है कि धर्म का आधार आस्‍था और विश्‍वास है।

2022-06-01

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जीवन का सार होते हैं मृत्‍यु के समय के अंतिम शब्‍द

आपराधिक न्‍याय शास्‍त्र में मरणासन्‍न व्‍यक्ति की गवाही को बहुत महत्‍व दिया जाता है। सामान्‍य रूप से यह माना जाता है कि मरता हुआ व्‍यक्ति झूठ नहीं बोलता।

2022-05-05

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क्‍या है हिन्‍दू धर्म की कसौटी

सूचना क्रांति के पहले भी अनेक क्रांतियॉं हुईं हैं । औद्योगिक क्रांति हुई जिसने जीवन को भौतिक रूप से सरल और सुखद बना दिया। वैचारिक रूप से पूँजीवाद भी क्रांति है, मार्क्‍स का साम्‍यवाद भी क्रांति है और समाजवाद भी क्रांति है।

2022-04-17

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इस नये वर्ष को हिंदुओं तक सीमित न करें, यह तो सभी लोगों का है।

इस वर्ष चैत्र माह की शुक्‍ल पक्ष की प्रथम तिथि‍ अर्थात् प्रतिपदा 1 अप्रैल को हुई। विक्रम संवत 2079 शुरू होने पर बधाइयों का तॉंता लग गया। वाट्ए एप और फेसबुक पर नववर्ष की धूम मच गई और अखबारों में एक कॉलम नए वर्ष पर अनिवार्यत: छापने की रस्‍म-अदायगी की गई।

2022-04-07

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सांसारिक उन्‍नति के बिना धर्म अधूरा है

‘धर्म’ है क्‍या? यह हमेशा से विवाद का विषय रहा है। धर्म, संसार को समृद्धिशाली, नैतिक और सुखी बनाने के लिए था परंतु विडम्‍बना है कि उसका इस्‍तेमाल सदैव से चालाक लोगों के द्वारा अपने स्‍वार्थों की पूर्ति के लिए किया जाता रहा है।

2022-03-10

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धर्म और धार्मिक क्रियाओं के बीच वही सम्‍बन्‍ध है जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी के बीच है

कितनी विचित्र बात है कि संसार में सबसे ज्‍यादा युद्ध धर्म के कारण हुए हैं और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का सबसे ज्‍यादा विकास युद्धों के कारण हुआ। परंतु फिर भी यह नहीं कहा जा सकता कि विज्ञान का विकास धर्म के कारण हुआ है।

2022-01-21

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पुरुषार्थ से समर्पण तक की यात्रा है - गीता

गीता जयंती 14 दिसम्‍बर पर विशेष

2021-12-14

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हिन्‍दूधर्म में ऐसा क्या है जिसके कारण वह सनातन है, वह न तो खतरे में पड़ सकता है और न ही नष्‍ट हो सकता है

सनातन का अर्थ है जो सदैव से है और सदैव रहेगा। जिसका न प्रारंभ है और न ही अंत है और जो सदैव नवीन बना रहता है। जब फारस की ओर से लोग भारत आए तो सिंधु नदी के इस पार रहनेवालों को उन्हों ने हिंदू कहना शुरू कर दिया और उनके धर्म को हिंदू धर्म कहने लगे । इसलिए भौगोलिक आधार पर नामकरण ‘हिंदू धर्म’ हो गया।

2021-11-10

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योग्‍यता-आधारित वैदिक वर्णव्‍यवस्‍था जिसे जन्‍म-आधारित सामाजिक जातिव्‍यवस्‍था ने नष्‍ट कर दिया

जब स्‍वामी विवेकानन्‍द ने देखा कि हिन्‍दू धर्म भेदभाव और छुआछूत की कुरूतियों के कारण अपने मूल सिद्धांतों से भटक गया है तब व्‍यथित होकर उन्‍हें कहना पड़ा कि – ‘’हमारा धर्म हमारी रसोई तक सीमित होकर रह गया है।

2021-11-10

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अंधश्रद्धा का निर्मूलन ही विवेकवान और घार्मिक जीवन की प्रथम सीढ़ी है

डॉ नरेंद्र दाभोलकर की पुण्‍यतिथि 20 अगस्‍त पर विशेष

2021-08-20

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राष्ट्रीय संग्रहालय में धार्मिक आस्थाऍं

मनुष्य अपने अतीत का मोह नहीं छोड़ पाता । एक ओर वह अतीत के स्वर्णिम दिनों में डूबा रहना चाहता है तो दूसरी ओर अतीत से शिक्षा लेकर भविष्य को और अच्छा बनाना चाहता है। इसलिए अतीत को याद करने की जरूरत होती है और इसका उपाय है पुरानी चीजों को सहेज कर रखना । इसी से संग्रहालयों का जन्म हुआ।

2021-08-14