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प्रेरणा तो जरासंध भी दे सकता है पर जीवन जीना तो श्रीकृष्‍ण ही सिखाते हैं

आदर्श जीवन है – कर्म में कुशलता, अपने पुरुषार्थ से परिस्थिति पर पूरा नियंत्रण, आंतरिक शांति, दूसरों के प्रति सहानुभूति और इसके बाद भी परिणाम को लेकर निर्लिप्‍तता।

2024-08-22

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मैं कट्टर नहीं, निष्‍ठावान् हिन्‍दू हूँ

श्रद्धा में ज्ञान मिल जाता है तो वह निष्‍ठा बन जाती है और जब अज्ञान मिल जाता है तो वह कट्टरता बन जाती है। हिन्‍दू धर्म हमें निष्‍ठावान बनाता है कट्टर नहीं।

2024-07-22

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उर अंकुरेउ गरब तरु भारी

पुराणों में ऐसी सीखें भरी पड़ी है कि भगवान् गर्व को सहन नहीं करते। प्रश्‍न उठता है आखिर भगवान् को किसी के गर्व या अहंकार से ऐसी दुश्‍मनी क्‍यों है ?

2024-06-08

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राह पकड़ तू एक चला चल पा जाएगा मधुशाला

सांसारिक जीवन में लक्ष्‍य अनेक होते हैं परंतु प्रत्‍येक को पाने का मार्ग एक ही होता है। जबकि अध्‍यात्‍म में लक्ष्‍य तो एक ही होता है, आत्‍मसाक्षात्‍कार या मुक्ति, परन्‍तु उसे पाने के मार्ग अनेक होते हैं ।

2024-05-02

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विद्यालयीन पाठ्यक्रम में गीता – क्‍यों और कितनी

यदि विद्यार्थी अपनी युवावस्‍था में एकबार गीता को पकड़ लेगा तो फिर गीता उसे जीवन भर नहीं छोड़ेगी।

2024-01-19

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कैसे समझें गीता को

गीता जयंती 22 दिसम्‍बर 23 पर विशेष

2023-12-20

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रामकथा के माध्‍यम से सत्‍य के अद्भुत व्‍याख्‍याकार
पद्मभूषण श्री रामकिंकर उपाध्‍याय

श्रीरामकिंकर उपाध्‍याय जी के 100 वें जन्‍मदिवस कार्तिक शुक्‍ल पंचमी (17 नवंबर 23) पर विशेष

2023-11-15

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ईश्‍वर के पूर्ण अवतार थे श्रीकृष्‍ण

श्रीकृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी 7 सितम्‍बर 23 के लिए विशेष लेख

2023-09-05

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गीता का अद्भुत चमत्‍कार

कई बार जीवन में ऐसी घटनाएँ घटती हैं जो तर्कबुद्धि से समझ में नहीं आतीं। वैसे तो ईश्‍वर सदैव, सर्वत्र व्‍याप्‍त है परंतु ऐसी घटनाएँ उसकी उपस्थिति अनुभव करने का अवसर प्रदान करती हैं।

2023-07-11

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गुरु विद्या देता है और अविद्या नष्‍ट करता है

गुरुपूर्णिमा 3 जुलाई 2023 पर विशेष लेख

2023-07-01

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महज कथा-कहानियाँ नहीं हैं वैदिक आख्‍यान

यह आख्‍यान, मनुष्‍य और ईश्‍वर, प्रकृति, पशु-पक्षी, पहाड़-जंगल, देवी-देवताओं के बीच के सम्‍बन्‍धों की व्‍याख्‍या करते हैं और अंत में इस निष्‍कर्ष पर ले जाते हैं कि सभी में एक ही ब्रह्म की चेतना व्‍याप्‍त है। इसीलिए यह कालजयी हैं और सामान्‍य कथा-कहानियों से भिन्‍न हैं।

2023-06-27

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इसलिए वेद अनादि, अनन्‍त और अपौरुषेय हैं

अस्तित्‍व में अनन्‍त सृष्टियाँ हैं और प्रत्‍येक सृष्टि में अनन्‍त ब्रह्माण्‍ड हैं इसलिए विज्ञान भी अनन्‍त तरह के हैं। ब्रह्माण्‍ड के जन्‍म लेने के साथ ही उसका विज्ञान भी जन्‍म लेता है और उसी के साथ नष्‍ट हो जाता है।

2023-05-27