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क्या भविष्य देखना संभव है, भविष्यवाणी करना संभव है ?

(श्री मद्भगवद्गीता के प्रकाश में)

2024-09-04 18:45:57

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प्रेरणा तो जरासंध भी दे सकता है पर जीवन जीना तो श्रीकृष्‍ण ही सिखाते हैं

आदर्श जीवन है – कर्म में कुशलता, अपने पुरुषार्थ से परिस्थिति पर पूरा नियंत्रण, आंतरिक शांति, दूसरों के प्रति सहानुभूति और इसके बाद भी परिणाम को लेकर निर्लिप्‍तता।

2024-09-04 18:33:56

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मैं कट्टर नहीं, निष्‍ठावान् हिन्‍दू हूँ

श्रद्धा में ज्ञान मिल जाता है तो वह निष्‍ठा बन जाती है और जब अज्ञान मिल जाता है तो वह कट्टरता बन जाती है। हिन्‍दू धर्म हमें निष्‍ठावान बनाता है कट्टर नहीं।

2024-09-04 18:32:35

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उर अंकुरेउ गरब तरु भारी

पुराणों में ऐसी सीखें भरी पड़ी है कि भगवान् गर्व को सहन नहीं करते। प्रश्‍न उठता है आखिर भगवान् को किसी के गर्व या अहंकार से ऐसी दुश्‍मनी क्‍यों है ?

2024-09-04 18:31:20

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राह पकड़ तू एक चला चल पा जाएगा मधुशाला

सांसारिक जीवन में लक्ष्‍य अनेक होते हैं परंतु प्रत्‍येक को पाने का मार्ग एक ही होता है। जबकि अध्‍यात्‍म में लक्ष्‍य तो एक ही होता है, आत्‍मसाक्षात्‍कार या मुक्ति, परन्‍तु उसे पाने के मार्ग अनेक होते हैं ।

2024-09-04 18:29:21

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विद्यालयीन पाठ्यक्रम में गीता – क्‍यों और कितनी

यदि विद्यार्थी अपनी युवावस्‍था में एकबार गीता को पकड़ लेगा तो फिर गीता उसे जीवन भर नहीं छोड़ेगी।

2024-09-04 18:26:47